Gold Loan Rules: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गोल्ड लोन को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। नए नियमों के तहत RBI ने बैंकों से कहा है कि गोल्ड लोन अब सिर्फ बैंकों द्वारा जारी किए गए गोल्ड ज्वैलरी और सिक्कों के बदले ही लिया जा सकेगा।
RBI ने साफ कर दिया है कि जिनके पास गोल्ड बार, बुलियन या IGNOTS है, उन्हें गोल्ड लोन नहीं मिलेगा। दूसरे शब्दों में कहें तो गोल्ड ज्वैलरी या सिक्के रखने वाले लोग ही गोल्ड लोन ले सकते हैं।
RBI ने पिछले महीने गोल्ड लोन को लेकर सख्त गाइडलाइन जारी की थी। जिसके बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. के.एस. स्टालिन ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कहा था कि नए नियमों से गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों की बैंक लोन तक पहुंच प्रभावित हो सकती है।
Gold Loan Rules

वित्त मंत्रालय ने RBI को सुझाव दिया है कि 2 लाख रुपये तक के लोन को इन नियमों से छूट दी जाए। साथ ही, इन नियमों को 1 जनवरी 2026 से लागू किया जाना चाहिए ताकि बैंकों को इन्हें सही तरीके से लागू करने का समय मिल सके।
दरअसल, जब भी पैसों की तत्काल जरूरत होती है, तो भारत में लोग अक्सर सोने के बदले लोन का विकल्प चुनते हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि RBI गोल्ड लोन से जुड़े नियमों में बदलाव क्यों कर रहा है।
RBI क्यों बदल रहा है नियम?
RBI गोल्ड लोन से जुड़े नियमों में इसलिए बदलाव कर रहा है क्योंकि हाल के दिनों में कई लोग सोने के बदले लोन ले रहे हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि सोने की कीमत में लगातार तेजी आ रही है।
भारत में इस समय 24 कैरेट सोने की कीमत करीब ₹95,760 प्रति 10 ग्राम है, जबकि 22 कैरेट सोना ₹87,780 प्रति 10 ग्राम पर बिक रहा है।

जैसे-जैसे गोल्ड लोन की मांग बढ़ती है, वैसे-वैसे बैंकों और वित्तीय कंपनियों के गैर-निष्पादित ऋणों (एनपीए – गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ) की संख्या भी बढ़ती है।
जब कोई व्यक्ति ऋण का भुगतान नहीं करता है, तो ऋण को एनपीए के रूप में गिना जाता है। इसलिए अगर समय रहते सख्त दिशा-निर्देश नहीं बनाए गए, तो इससे बैंकों और उधारकर्ताओं दोनों को नुकसान हो सकता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2024 तक बैंकों के पास 2,040 करोड़ रुपये के गोल्ड लोन एनपीए थे। एक साल पहले दिसंबर 2023 में गोल्ड लोन एनपीए सिर्फ़ 1,404 करोड़ रुपये था।
भारत में आभूषणों का भावनात्मक महत्व
यह सच है कि गोल्ड लोन किसी भी तात्कालिक ज़रूरत को पूरा करने में मदद कर सकता है. लेकिन अगर वह लोन चुकाने में विफल रहता है, तो यह उसकी चल रही आर्थिक तंगी को दर्शाता है.
ऐसे में अगर उसके आभूषण भी नीलाम हो जाते हैं, तो वह एक महत्वपूर्ण संपत्ति खो देता है. साथ ही, उसका क्रेडिट स्कोर भी खराब हो जाता है.

भारत में आभूषणों का भावनात्मक महत्व भी है. इसलिए आभूषण खोने का दुख सिर्फ़ आर्थिक ही नहीं, बल्कि भावनात्मक भी होता है.
दूसरी ओर, अगर ज़्यादा लोग अपने गोल्ड लोन पर डिफॉल्ट करते हैं. दूसरे शब्दों में, अगर बैंक को लोन वापस नहीं मिलता है, तो लोन देने वाली संस्था को पैसे की कमी का सामना करना पड़ सकता है.
क्योंकि आभूषणों की नीलामी प्रक्रिया काफी लंबी और जटिल होती है, इसलिए समय पर पैसे वापस मिलना मुश्किल होता है.