High Court Judgment : भारत में किराएदारी को लेकर मकान मालिकों और किराएदारों के बीच विवाद कोई नई बात नहीं है । कई बार ऐसा होता है कि रेंटल एग्रीमेंट खत्म होने के बावजूद किराएदार घर खाली नहीं करता और मकान मालिक को कानूनी पचड़ों में फंसना पड़ता है । लेकिन अब हाई कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले से मकान मालिकों को बड़ी राहत मिल सकती है ।
High Court Judgment : भारत में किराएदारों के लिए नए नियम लागू, अब मकान मालिक किराएदारों से रेंटल एग्रीमेंट खत्म होने पर खाली करवा सकेंगे अपना घर
हाईकोर्ट ने अपने हालिया फैसले में यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर रेंट एग्रीमेंट की तय अवधि खत्म हो गई है और किराएदार फिर भी घर खाली नहीं करता है तो मकान मालिक सीधे कोर्ट से बेदखली का आदेश प्राप्त कर सकता है । इससे लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना नहीं पड़ेगा और घर को जल्दी से जल्दी कब्जे से मुक्त कराया जा सकेगा ।
यह ऐतिहासिक फैसला किस मामले में आया? High Court Judgment
यह फैसला ऐसे मामले में सुनाया गया जिसमें एक किराएदार ने 11 महीने के वैध किराये के समझौते की समाप्ति के बाद भी घर खाली नहीं किया । मकान मालिक द्वारा कई नोटिस भेजे जाने के बावजूद, किराएदार ने घर खाली नहीं किया और कब्ज़ा बनाए रखा।
हाईकोर्ट ने इस स्थिति को ‘दुरुपयोग की प्रवृत्ति’ करार देते हुए स्पष्ट किया कि जैसे ही रेंट एग्रीमेंट खत्म होता है, किराएदार का वैधानिक अधिकार भी खत्म हो जाता है । अगर इसके बाद भी वह घर में रहता है तो इसे गैरकानूनी कब्जा माना जाएगा ।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
हाईकोर्ट के फैसले में कई अहम मुद्दे उजागर हुए हैं
यदि किरायेदार किराये के समझौते की समाप्ति के बाद भी मकान खाली नहीं करता है तो इसे अनधिकृत कब्जा माना जाएगा ।
ऐसे मामलों में मकान मालिक को अब लंबी कानूनी कार्यवाही का सामना नहीं करना पड़ेगा ।
अदालत सीधे मकान खाली करवाने के लिए इजेक्शन ऑर्डर (निष्कासन आदेश) जारी कर सकती है ।
मकान मालिक को केवल वैध दस्तावेज और समझौते अदालत में जमा करने होंगे ।
मकान मालिकों के कानूनी अधिकार High Court Judgment
भारत में किराएदारी विवादों को नियंत्रित करने के लिए कई कानून हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है किराया नियंत्रण अधिनियम । इसके अंतर्गत:
मकान मालिक को एक वैध किराया समझौता तैयार करना चाहिए जिसमें किराया, अवधि और अन्य शर्तें स्पष्ट रूप से बताई गई हों ।
किराएदार का पहचान पत्र और पुलिस सत्यापन अवश्य प्राप्त किया जाना चाहिए ।
मकान खाली करने के लिए समय-समय पर लिखित नोटिस देना जरूरी है ।
किरायेदार मनमानी करता है तो मकान मालिक सिविल कोर्ट में किराया वसूली और बेदखली की कार्यवाही शुरू कर सकता है ।
अब हाईकोर्ट के ताजा फैसले के मुताबिक पूरी प्रक्रिया तेज और आसान हो जाएगी ।
किराएदारों को चेतावनी High Court Judgment
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में किराएदारों को भी साफ संदेश दिया है कि वे रेंट एग्रीमेंट की शर्तों का पालन करें । अगर एग्रीमेंट खत्म हो चुका है और मकान मालिक ने लिखित में घर खाली करने को कहा है तो उस निर्देश को नजरअंदाज करना कानूनी तौर पर गलत होगा ।
किराएदारों को अब यह समझ लेना चाहिए कि अगर वे बिना इजाजत घर में रहते हैं तो उन पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है और उन्हें जबरन बेदखल किया जा सकता है ।
यह निर्णय कहां लागू होगा? High Court Judgment
यह आदेश वर्तमान में उस राज्य की अधिकारिता सीमा के भीतर लागू है जहां यह निर्णय दिया गया था । हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय का प्रभाव धीरे-धीरे पूरे भारत में महसूस किया जाएगा । यदि सर्वोच्च न्यायालय में इस निर्णय को बरकरार रखा जाता है, तो यह एक राष्ट्रव्यापी मिसाल कायम कर सकता है । इससे भविष्य में भारत के अन्य राज्यों के मकान मालिकों को भी लाभ मिल सकता है ।
मकान मालिकों को क्या करना चाहिए? High Court Judgment
हाई कोर्ट के फैसले के बाद, मकान मालिकों को निम्नलिखित बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए
स्पष्ट शर्तों और अवधि के साथ लिखित किराया समझौता अवश्य प्राप्त करें ।
किराएदार का पहचान पत्र, फोटो और पुलिस सत्यापन अवश्य रखें ।
नोटिस देना और उसकी एक प्रति रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यदि अनुबंध समाप्त हो गया है और किराएदार खाली नहीं कर रहा है, तो सीधे न्यायालय से निष्कासन आदेश प्राप्त करने की प्रक्रिया से गुजरें ।