Rohiranwali News : ग्वार विशेषज्ञ डॉ. बी.डी. यादव के सहयोग से सिरसा के गांव रोहिड़ावाली में ग्वार शिविर का हुआ आयोजन, ग्वार के जड़ सड़न रोग पर नियंत्रण करने का बताया उपाए

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Rohiranwali News : भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए कृषि विभाग सिरसा, खंड ओढ़ां के तत्वावधान में ग्वार विशेषज्ञ डॉ. बी.डी. यादव के सहयोग से गांव रोहिड़ावाली में ग्वार शिविर का आयोजन किया गया ।

शिविर में मुख्य अतिथि के रूप में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त कृषि वैज्ञानिक डॉ. बी.डी. यादव ने कहा कि ग्वार बारानी क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण फसल है ।

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खरीफ की फसलों में यह एक प्रमुख फसल मानी जाती है । यह काफी सूखा सहन करने वाली फसल है । इस गांव में ग्वार की ज्यादातर बुवाई वर्षा आधारित होती है, लेकिन कुछ किसान नहरी पानी उपलब्ध होने पर पानी लगाकर ग्वार की बुवाई करते हैं ।

गहरी जुताई से पहले तैयार खाद डालें, इससे मिट्टी में सुधार होता है । काफी किसान ऐसे हैं जो बी.टी. नरमा की फसल ले रहे हैं, लेकिन अगले सीजन में उसी खेत में फिर से बी.टी. नरमा की फसल ले लेते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है और मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है ।

डॉ. बी.डी. यादव ने किसानों से मृदा स्वास्थ्य सुधारने के लिए फसल चक्र में ग्वार को शामिल करने का अनुरोध किया । क्षेत्रीय शोध के आधार पर यह निष्कर्ष निकला है कि ग्वार की फसल के बाद बोई गई गेहूं या सरसों की फसलों में 20 से 25 प्रतिशत नाइट्रोजन की बचत होती है तथा इन फसलों की पैदावार भी अधिक होती है ।

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ग्वार विशेषज्ञ ने बताया कि दलहनी फसल होने के कारण ग्वार वातावरण से नाइट्रोजन लेकर पौधों को देता है तथा फसल पकने पर इसके पत्ते झड़कर जमीन पर गिरकर जैविक खाद का काम करते हैं । इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे ग्वार के फसल चक्र में नरमा को शामिल करें । Rohiranwali News

कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए ग्वार विशेषज्ञ ने उखेड़ा रोग को ग्वार का प्रमुख रोग बताया तथा कहा कि इसकी रोकथाम के लिए बीजोपचार ही एकमात्र उपाय है । बीजोपचार के लिए प्रति किलोग्राम बीज को 3 ग्राम वेबिस्टीन की दर से 15-20 मिनट तक सूखा उपचार करने की सलाह दी । Rohiranwali News

इससे जड़ सड़न रोग पर 80-85 प्रतिशत तक नियंत्रण पाया जा सकता है । ग्वार की उन्नत किस्मों एचजी 365, एचजी 563 तथा एचजी 2-20 की ही सिफारिश की गई। ये किस्में 85 से 110 दिन में पककर तैयार हो जाती हैं, जिससे समय रहते अगली कटाई की जा सकती है ।

ग्वार की बिजाई के लिए जून का दूसरा पखवाड़ा सबसे उपयुक्त बताया गया, लेकिन जिन किसानों के पास नहरी पानी की सुविधा है, वे जून माह में अपने खेतों में पानी देकर या बारिश होने पर बिजाई करके अच्छी पैदावार ले सकते हैं । Rohiranwali News

मुख्य अतिथि डॉ. पवन यादव ने खेती के पुराने तरीकों की बजाय नई तकनीक अपनाने पर जोर दिया तथा किसानों से कृषि वैज्ञानिकों व अधिकारियों के संपर्क में रहने का आह्वान किया, ताकि वे आधुनिक तकनीकों से अपडेट रह सकें ।

साथ ही उन्होंने किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में प्रेरित किया । साथ ही समय पर कृषि अधिकारी से मेरी फसल ब्यौरा के बारे में संपर्क में रहें । Rohiranwali News

इस अवसर पर शिविर में उपस्थित 73 किसानों को हिंदुस्तान गम एंड केमिकल्स भिवानी द्वारा दो एकड़ के लिए वेबस्टीन दवा, एक मास्क व बीजोपचार के लिए एक जोड़ी दस्ताने दिए गए ।

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