Sirsa Dera News : हरियाणा के सिरसा में डेरा सच्चा सौदा का 77वां स्थापना माह रविवार को शाह सतनाम-शाह मस्ताना जी धाम, डेरा सच्चा सौदा सिरसा में बड़ी धूमधाम से मनाया गया ।
Sirsa Dera News : हरियाणा के सिरसा में डेरा सच्चा सौदा के स्थापना दिवस के पावन भंडारे के लिए जुटी साध संगत, पूज्य गुरु जी ने दिए प्रवचन
पवित्र भंडारे में आयोजित नामचर्चा सत्संग कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साध-संगत ने भाग लिया । इस अवसर पर कपड़ा बैंक अभियान के तहत 77 जरूरतमंद बच्चों को कपड़े वितरित किए गए । Sirsa Dera News
पवित्र भंडारे में पहुंची साध-संगत ने धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा का दिव्य नारा लगाकर पूज्य गुरु जी को डेरा सच्चा सौदा के स्थापना माह की बधाई दी । सुबह 10 बजे पवित्र नारा धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा और अरदास का उच्चारण कर पवित्र भंडारा शुरू किया गया । Sirsa Dera News
इसके बाद कवियों ने सुंदर भजनों और कव्वालियों के माध्यम से श्रोताओं का मनोरंजन किया । पवित्र भंडारे के अवसर पर भारतीय संस्कृति और रीति-रिवाजों को प्रदर्शित करने वाली एक वृत्तचित्र फिल्म दिखाई गई । Sirsa Dera News
इससे पता चला कि भारत की संस्कृति विश्व में सर्वोच्च स्थान पर है। लेकिन पाश्चात्य संस्कृति के कारण देश की युवा पीढ़ी धीरे-धीरे भारतीय संस्कृति से दूर होती जा रही है । डेरा सच्चा सौदा पूज्य गुरु जी के मार्गदर्शन में देश के लोगों को देश की संस्कृति से जोड़ने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है । Sirsa Dera News
डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया कि पूज्य गुरु जी सत्संग के माध्यम से युवा पीढ़ी को देश की संस्कृति से जुड़ने के लिए जागरूक कर रहे हैं । भारत की संस्कृति और रीति-रिवाजों को संरक्षित करने तथा युवा पीढ़ी में चरित्र निर्माण के लिए डेरा सच्चा सौदा की तीनों पातशाहियों ने अपने अनुयायियों में आध्यात्मिकता के साथ-साथ सामाजिक और मानवीय गुणों का संचार किया, जिससे उनका विश्व के प्रति दृष्टिकोण बदल गया । Sirsa Dera News
समागम के दौरान पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पवित्र वचनों को साध संगत ने ध्यानपूर्वक सुना। पूज्य गुरु जी ने कहा कि मनुष्य अपने ही काम में व्यस्त रहता है । आज के घोर कलियुग में दिन-रात सांसारिक कार्यों में व्यस्त रहने के कारण लोगों का मानवता पर से विश्वास उठता जा रहा है ।
आज मानवता लुप्त होती जा रही है, जिसका मुख्य कारण यह है कि मनुष्य व्यापार में व्यस्त हो गया है। क्योंकि काम में व्यस्त रहने से मस्तिष्क पर भार बढ़ जाता है । मन, मस्तिष्क अशांत होता है, जिसके कारण व्यक्ति को तनाव, परेशानी होती है ।
पूज्य गुरु जी ने कहा कि तनाव, परेशानियां न केवल व्यक्ति को मालिक से दूर ले जाती हैं, बल्कि व्यक्ति को स्वयं से भी दूर ले जाती हैं । वह इस बात से अवगत नहीं है कि उसे अपने लिए क्या करना है, आत्मा के लिए क्या करना है, शरीर के लिए क्या करना है ।
क्योंकि तनाव, चिंता एक चिता है जो जीवित व्यक्ति को जला देती है । पूज्य गुरु जी ने कहा कि चिंता ही वह चीज है जो मृत्यु के बाद जलती है, जिससे कहानी समाप्त हो जाती है । लेकिन यह चिंता एक ताबूत है जो हमेशा जलता रहता है और इंसान को जिंदा जलाए रखता है । Sirsa Dera News
पूज्य गुरु जी ने आगे कहा कि तनाव भी बीमारियों का घर है, तनाव के कारण ही शरीर में अनेक बीमारियां घर कर जाती हैं, उन बीमारियों के कारण ही फिर कुछ भी अच्छा नहीं लगता । चिड़चिड़ापन आ जाता है, व्यक्ति का दिल और दिमाग गुस्से में रहने लगता है, दिल और दिमाग बेचैन रहता है ।
बीमारियों के कारण शरीर नकारात्मक हो जाता है, जिससे व्यक्ति जीने की इच्छा भी खो देता है। कभी-कभी तो लोग इससे परेशान होकर आत्महत्या भी कर लेते हैं । Sirsa Dera News
यह बिल्कुल ग़लत है, ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। पूज्य गुरु जी ने कहा कि हमारे धर्मों में आत्महत्या को महापाप बताया गया है । इसलिए कभी भी किसी व्यक्ति को आत्महत्या के बारे में नहीं सोचना चाहिए। लेकिन यह तभी संभव है जब व्यक्ति सत्संग में आये ।