Sirsa News : हरियाणा के सिरसा स्थित चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय में गुरुवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप पीजी पाठ्यक्रमों और क्रेडिट फ्रेमवर्क के लिए विश्वविद्यालय के सीवी रमन के सेमिनार हॉल में बैठक आयोजित की गई ।
Sirsa News
बैठक का उद्देश्य स्नातकोत्तर कार्यक्रमों को सुविधाजनक बनाना और अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट और डिजीलॉकर की सुविधा के माध्यम से छात्रों को बाहर निकलने के विकल्प प्रदान करना था, जिससे कौशल संवर्धन और रोजगार के अवसरों के नए द्वार खुल सकें । कार्यक्रम की अध्यक्षता एनईपी सेल के संयोजक एवं विश्वविद्यालय के डीन अकादमिक मामले प्रोफेसर सुरेश गहलावत ने की । Sirsa News
उन्होंने कहा कि यह बैठक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा-निर्देशों तथा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई के दिशा-निर्देशों के अनुरूप एनईपी को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने के लिए बुलाई गई थी । इस अवसर पर कुलपति के तकनीकी सलाहकार प्रोफेसर असीम मिगलानी, विभिन्न संकायों के डीन, अध्यक्ष और प्रोफेसर उपस्थित थे । Sirsa News
इस संबंध में जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के एनईपी समन्वयक प्रोफेसर सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि नवीन ढांचे के तहत पीजी कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए तीन विकल्प प्रस्तावित किए गए हैं । एक वर्षीय पीजी कार्यक्रम उन छात्रों के लिए होगा जिन्होंने चार वर्षीय यूजी कार्यक्रम पूरा कर लिया है । Sirsa News
दो वर्षीय पारंपरिक पीजी कार्यक्रम, जो उन लोगों के लिए है जिन्होंने तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है । प्रथम वर्ष के बाद एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा का विकल्प भी उपलब्ध होगा । पांच वर्षीय एकीकृत पीजी कार्यक्रम, जिसमें छात्र 10+2 के बाद सीधे प्रवेश ले सकेंगे । Sirsa News
यह पाठ्यक्रम रूपरेखा न केवल उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को बढ़ाने में सहायक होगी, बल्कि छात्रों में बहु-विषयक दृष्टिकोण भी विकसित करेगी । इस ढांचे के तहत, छात्र अपनी पीजी शिक्षा के लिए प्रमुख या गौण पाठ्यक्रम चुन सकते हैं ।
यदि वे निर्धारित योग्यता पूरी करते हैं तो वे अपनी रुचि के अनुसार कोई अन्य विषय भी चुन सकते हैं । स्नातकोत्तर कार्यक्रम में पाठ्यक्रम कार्य के साथ-साथ शोध कार्य भी शामिल होता है, जिससे छात्रों को ज्ञान और कौशल दोनों में निपुणता प्राप्त होती है ।